आखिरकार देश को मिली वो सच्चाई, जो पहलगाम आतंकी हमले से जुड़ी थी।
गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में खड़े होकर पूरी गंभीरता से बताया कि कैसे सरकार ने पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में शामिल आतंकियों की पहचान की और उसे पुख्ता सबूतों से साबित किया।
यह मामला सिर्फ एक आतंकी हमले का नहीं था, बल्कि निर्दोष नागरिकों की जान लेने वाले उन लोगों की सच्चाई का था, जिन्हें आतंक के अंधेरे में छिपा दिया गया था।
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कैसे हुई आतंकियों की पहचान?
यह घटना तब सामने आई जब तीन आतंकवादी मुठभेड़ में मारे गए। गृह मंत्री ने बताया कि—
- NIA ने पहले ही उन लोगों को हिरासत में ले लिया था, जिन्होंने इन आतंकियों को आश्रय दिया था।
- खाना पहुंचाने वालों को भी कब्ज़े में लिया गया, जिससे ये पता लगाया जा सके कि आतंकियों ने किन-किन से संपर्क किया था।
- जब मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों के शव श्रीनगर लाए गए, तो चार लोगों से उनकी पहचान कराई गई। उन चारों ने साफ-साफ कहा— “हाँ, यही तीनों लोग थे जिन्होंने पहलगाम में आतंकी हमला किया था।”
FSL रिपोर्ट और वैज्ञानिक जांच से हुआ सच उजागर
गृह मंत्री ने बताया कि—
“हमने हमले की जगह से मिले कारतूसों को फॉरेंसिक जांच (FSL) के लिए पहले ही भेज दिया था।”
जब तीनों आतंकवादी मारे गए तो उनकी राइफलें जब्त की गईं। फिर क्या हुआ जानकर आप भी चौंक जाएंगे—
- ये राइफलें रात 12 बजे विशेष विमान द्वारा चंडीगढ़ भेजी गईं।
- पूरी रात फायरिंग कर के राइफलों से खाली कारतूस जनरेट किए गए, ताकि उनकी तुलना पहलगाम हमले के कारतूसों से की जा सके।
- जब मिलान हुआ, तो साफ हो गया कि यही राइफलें थी जिनसे निर्दोष नागरिकों की हत्या की गई थी।
यह सिर्फ एक तकनीकी जांच नहीं थी, यह न्याय की लड़ाई थी
इस घटना के पीछे केवल आतंकी हमला नहीं था, बल्कि वो दर्द था जो देश के हर नागरिक ने महसूस किया। तीन निर्दोष लोगों की जान लेना एक अमानवीय हरकत थी, लेकिन सरकार की सख्ती, एजेंसियों की चौकसी और तकनीकी विशेषज्ञता ने ये साबित कर दिया कि देश में आतंकियों के लिए अब कोई जगह नहीं है।
निष्कर्ष
गृह मंत्री अमित शाह के संसद में दिए गए बयान ने साफ कर दिया कि सरकार आतंकवाद के खिलाफ “Zero Tolerance” की नीति पर काम कर रही है।
Pahalgam Terrorists की पहचान और पुष्टि इस बात का प्रमाण है कि भारत अब केवल जवाब नहीं देता, बल्कि सटीक जवाब देता है— सबूतों के साथ, कानून के तहत।
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